हिंसा
जैन दर्शनानुसार – धार्मिक गृहस्थ लोग हिंसा करते नहीं पर जीवनयापन में हिंसा हो जाती है। उसके लिये उन्हें थोड़ा सा दोष लगता है/ नहीं भी लगे।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
जैन दर्शनानुसार – धार्मिक गृहस्थ लोग हिंसा करते नहीं पर जीवनयापन में हिंसा हो जाती है। उसके लिये उन्हें थोड़ा सा दोष लगता है/ नहीं भी लगे।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने हिंसा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। भगवान् महावीर स्वामी जी का सन्देश है कि अहिंसा परमो धर्म। अतः जीवन में किसी को मारने के भाव नहीं आना चाहिए।