अकृत्रिम चैत्यालय

अकृत्रिम चैत्यालय में ऋद्धिधारी मुनि/विद्याधर/चक्रवर्ती जाते हैं ।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

One Response

  1. चैत्यालय– जिनबिंब को चैत्य कहते हैं। चैत्य के आश्रय भूत स्थापन को जिनालय या चैत्यालय कहलाते हैं । यह दो प्रकार के होते हैं कृत्रिम और अकृत्रिम चैत्यालय। मनुष्य लोक में मनुष्यों के द्वारा निर्मित जिनालय कृत्रिम चैत्यालय कहलाते हैं। शाश्वत /स्व प़तिष्ठित और सदा प़काशित रहने वाले जिनमन्दिर अकृत्रिम चैत्यालय कहलाते हैं। अतः यह कथन सत्य है कि अकृत्रिम चैत्यालयों में रिद्धिधारी मुनि, विद्याधर और चक्रवर्ती भी जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

March 26, 2020

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930