बड़े अजीब अकेलेपन से गुजरते हैं, ये खण्डहर भी,,
देखने तो बहुत आते हैं, रहता कोई नहीं..
(डॉ एस.एम.जैन)
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व्यावहारिकता के आधार पर अकेलपना जिन्दगी को बबाॅद कर देता है लेकिन आध्यात्मिकता के आधार पर अकेलेपन से स्वयं को पहिचान कर लेते हैं, वेही जीवन का आनन्द उठा सकते हैं। जैसे खणडरों को देखने पर आनन्दित हो जाते हैं जब की स्वमं की पहिचान कर लेते हैं उनको हम सभी नत मस्तक करते हैं और जीवन जीने का रस मिल जाता है।
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व्यावहारिकता के आधार पर अकेलपना जिन्दगी को बबाॅद कर देता है लेकिन आध्यात्मिकता के आधार पर अकेलेपन से स्वयं को पहिचान कर लेते हैं, वेही जीवन का आनन्द उठा सकते हैं। जैसे खणडरों को देखने पर आनन्दित हो जाते हैं जब की स्वमं की पहिचान कर लेते हैं उनको हम सभी नत मस्तक करते हैं और जीवन जीने का रस मिल जाता है।