अकेलापन / एकांत
“अकेलापन” इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है ! और
“एकांत” सबसे बड़ा वरदान !!
“अकेलेपन” में छटपटाहट है, घबराहट है;
तो “एकांत”में आराम, शांति ।
जब तक हमारी नज़र बाहर की ओर है, तब तक हम “अकेलापन” महसूस करते हैं
और
जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी
तो “एकांत” अनुभव होने लगता है।
ये जीवन और कुछ नहीं वस्तुतः
“अकेलेपन” से “एकांत” की ओर एक यात्रा है !!
(ब्र.संजय)
One Response
Suresh chandra jain
This is a very fine thought, jeev jab aatma se jud jayega tab akelepan ko chod kar akant me jaane ka rasta mil jayega.