अच्छाई मोह से बड़ी होती है।
आपके दो बच्चे हों, दोनों से मोह होगा।
यदि एक में अच्छाईयाँ हैं तो मोह बढ़ेगा, दूसरे में नहीं हैं तो कम या समाप्त हो जायेगा।
चिंतन
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मोह का तात्पर्य राग या लगाव रखना होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि अच्छाई मोह से बड़ी होती है।यह कथन भी सत्य है कि अच्छाई है तो मोह यानी लगाव बढेगा, यदि दूसरे में अच्छाई नहीं है तो मोह कम हो सकता है। अतः मोह के चक्कर में नहीं रहना चाहिए, सिर्फ अच्छाई का ध्यान रखना आवश्यक है। यदि जीवन में मोह या लगाव भगवान्, गुरुओं में होगा तो अपने जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।
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मोह का तात्पर्य राग या लगाव रखना होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि अच्छाई मोह से बड़ी होती है।यह कथन भी सत्य है कि अच्छाई है तो मोह यानी लगाव बढेगा, यदि दूसरे में अच्छाई नहीं है तो मोह कम हो सकता है। अतः मोह के चक्कर में नहीं रहना चाहिए, सिर्फ अच्छाई का ध्यान रखना आवश्यक है। यदि जीवन में मोह या लगाव भगवान्, गुरुओं में होगा तो अपने जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।