सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र जिसका आवास/ आश्रय/ आधार है, उसमें जो निमित्त होता है, वह आयतन है। उससे विपक्ष – अनायतन। वीतराग सम्यग्दृष्टि के लिये थोड़ा सा राग करना भी अनायतन की सेवा है। विषय-कषाय से ऊपर नहीं उठे तो अनायतन से नहीं बचे।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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