अनेकांत
पाँचों इंद्रियों के विषय अलग-अलग हैं। आपस में कोई सम्बंध नहीं।
आत्मा सबको बराबर महत्त्व देती है। इन्हीं से वह संसार के सारे ज्ञान प्राप्त करती है। इसे कहते हैं अनेकांत।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
पाँचों इंद्रियों के विषय अलग-अलग हैं। आपस में कोई सम्बंध नहीं।
आत्मा सबको बराबर महत्त्व देती है। इन्हीं से वह संसार के सारे ज्ञान प्राप्त करती है। इसे कहते हैं अनेकांत।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी