जब गरीब तथा अमीर नितांत अकेले पैदा व मरते हैं, कुछ लेकर नहीं आते हैं तो गरीबी/अमीरी के लिए दोषी कौन ?
भगवान को दोष क्यों ?
अपने कृत/ कर्मों को दोषी क्यों नहीं ठहराते !
(धर्मेंद्र)
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4 Responses
आपराधी कोन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में भगवान को दोष देना उपयुक्त नहीं है! जीवन में अपने कृत एवं कर्मों को दोषी मानना आवश्यक है, इसका निवारण करने पर ही अपना कल्याण हो सकता है!
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आपराधी कोन का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में भगवान को दोष देना उपयुक्त नहीं है! जीवन में अपने कृत एवं कर्मों को दोषी मानना आवश्यक है, इसका निवारण करने पर ही अपना कल्याण हो सकता है!
Can meaning of ‘नितांत’ be explained, please ?
Absolute
Okay.