अपूर्व-करण के कार्यों (बंधव्युच्छित्ति) को देखते हुए, इसके 7 भाग किये हैं। पहले, छठे व सातवें गुणस्थानों के कार्य बताये गये हैं।
मेरे प्रश्न किये जाने पर कि दूसरे से पाँचवें गुणस्थानों के काम ?
बताया –> किसी ग्रंथ में हों/ पकड़ में न आये हों।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी का अपूर्व करण में काम का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!
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