मूर्तिक

हम कितने होशियार हैं – हमने ज्ञान को पुस्तक में, काल को घड़ी में और अमूर्तिक को मूर्तिक में बदल लिया है ।
हम मूर्तिक के आदी हैं, इसलिये सबको मूर्ति के रूप में ही देखना चाहते हैं ।

आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी

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