अयश

अयश उदय इससे नहीं माना जायेगा कि लोग बदनामी कर रहे हैं। ऐसी बदनामी तो सती अंजना तथा सीता जी की भी हुई थी। उदय तब माना जायेगा जब वह जीव खुद महसूस कर रहा हो।
इसीलिये व्रतियों (5वें गुणस्थान से) के अयश उदय नहीं होता है।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने अयश का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अयश नहीं मिलना चाहिए बल्किे जीवन में यश मिलने का प़यास करना परम आवश्यक है।

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