अरहंतों की क्षमता

जब भगवान के दानांतराय कर्म का क्षय पूरी तरह से हो जाता है, तो भी बहुत से जीवों को वे अपनी बात समझा क्यों नहीं पाते ?

उन जीवों के लाभान्तराय कर्मों के तीव्र उदय के कारण ।

तत्वार्थसूत्र मंजूषा- 1/218

Share this on...

One Response

  1. अरहंतों की क्षमता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 18, 2024

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031