अर्थ/परमार्थ में संतुलन
जैसे बकरी के वज़न को संतुलित किया जाता है…
खूब खिला कर शेर के पिंजरे के पास बांध कर,
वैसे ही सांसारिक कार्यों के साथ (परमार्थ में पूरी श्रद्धा रखते हुये) 6 आवश्यकों को करते रहने से, संतुलन बना रहता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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परमार्थ-परम का अर्थ यहां मोक्ष हैं अतः जिसका प्रयोजन है वह परमार्थ है और जिसमें आत्म हित और लोक हित दोनों निमित्त है यह परमार्थ कहलाता है। अतः अर्थ और परमार्थ में संतुलन होना चाहिए ताकि परमार्थ में पूरी श्रद्धा रखते हुए 6 आवश्यको करते रहने से संतुलन बना रहता हैं।