भूलकर भी देव, शास्त्र, गुरु के प्रति अविनय शब्द न निकल जाऐं।
क्षु. श्री जिनेंद्र वर्णी जी
(बिना मन से बोलने पर भी गलत वचन बोलने का दोष तो लगेगा ही जैसे बिना Intention के गाली के प्रयोग को समाज में भर्त्सना – चिंतन)
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क्षुल्लक श्री जिनेंद्र वर्णी जी ने अविनय शब्द का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में देव शास्त्र एवं गुरुओं के प्रति कभी अविनय शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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क्षुल्लक श्री जिनेंद्र वर्णी जी ने अविनय शब्द का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में देव शास्त्र एवं गुरुओं के प्रति कभी अविनय शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए।