अश्रद्धावान/अजैन को धर्म की क्रियायें नहीं, जैन-धर्म के सिद्धांत बतायें ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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जैन धर्म पर श्रद्वान होना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।
अतः मुनि श्री प़माण सागर महाराज जी ने सत्य कहा है कि जो धर्म पर श्रद्वा नहीं रखते हैं उनको धार्मिक क़ियायें नहीं बताना चाहिए बल्कि जैन धर्म के सिद्धांतों को बताना चाहिए ताकि धर्म पर श्रद्वान करने में सक्षम हो सकते हैं।
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जैन धर्म पर श्रद्वान होना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।
अतः मुनि श्री प़माण सागर महाराज जी ने सत्य कहा है कि जो धर्म पर श्रद्वा नहीं रखते हैं उनको धार्मिक क़ियायें नहीं बताना चाहिए बल्कि जैन धर्म के सिद्धांतों को बताना चाहिए ताकि धर्म पर श्रद्वान करने में सक्षम हो सकते हैं।