अष्टानिका में विधान का फल अन्य समय में किये गये विधान से अधिक होता है ।
जैसे मौसम के फल का स्वाद अन्य समय के फल के स्वाद से ज्यादा होता है ।
कर्म का फल काल से भी प्रभावित होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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अष्टानिका पूजा- – देवों के द्वारा नंदीश्वर दीप में प़त्येक वर्ष अषाढ़, कार्तिक और फाल्गून माष में अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक आठ दिन लगातार भक्ति पूर्वक जो जिनेन्द्र प़तिमाऔं की पूजा की जाती है उसे कहते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि अष्टिकानाऔ में पूजा या विधान का फल अन्य समय में किये गये विधान से अधिक होता हैं। कर्म का फल काल से प्रभावित होता हैं इसलिए अष्टिकानऔ में करने में अधिक फल मिलता हैं।
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अष्टानिका पूजा- – देवों के द्वारा नंदीश्वर दीप में प़त्येक वर्ष अषाढ़, कार्तिक और फाल्गून माष में अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक आठ दिन लगातार भक्ति पूर्वक जो जिनेन्द्र प़तिमाऔं की पूजा की जाती है उसे कहते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि अष्टिकानाऔ में पूजा या विधान का फल अन्य समय में किये गये विधान से अधिक होता हैं। कर्म का फल काल से प्रभावित होता हैं इसलिए अष्टिकानऔ में करने में अधिक फल मिलता हैं।