व्यवहार आकिंचन्य – अपने पास किंचित रखना (ताकि जीवन चल सके )
निश्चय आकिंचन्य – किंचित भी मेरा नहीं है ।
चिंतन
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2 Responses
आकिंचन्य का मतलब समस्त परिग़ह का त्याग करके कुछ भी मेरा नहीं है,इस प्रकार का निर्लोभ भाव रखना होता है।
धर्म में निश्चय और व्यवहार होना आवश्यक है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि व्यवहार आकिंचन्य में अपने पास किंचत रखना ताकि जीवन चल सके। जबकि निश्चय आकिंचन्य में किंचित मेरा नहीं ।
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आकिंचन्य का मतलब समस्त परिग़ह का त्याग करके कुछ भी मेरा नहीं है,इस प्रकार का निर्लोभ भाव रखना होता है।
धर्म में निश्चय और व्यवहार होना आवश्यक है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि व्यवहार आकिंचन्य में अपने पास किंचत रखना ताकि जीवन चल सके। जबकि निश्चय आकिंचन्य में किंचित मेरा नहीं ।
“किंचित” means “kuch”, right?
Reply- Yes