पिंजरा तो खुल गया परंतु पंख ही न खुले तो क्या होगा ?
दीपक तो जल गया परंतु आँख ही न खुले तो क्या होगा ?
धर्म-शास्त्र के उपदेश तो अनेक सुन लिये, परंतु भीतर की गाँठें न खुले तो क्या होगा ??
सोच मनवा सोच !
(मंजू)
Share this on...
One Response
आचरण प़त्येक मानव की सोच पर निर्भर करता हैं, यदि सोच अच्छी है तो आचरण पवित्र हो सकता हैं, यदि सोच गलत है तो जीवन निरर्थक होता हैं। अतः जो बताया गया है कि पिंजरा तो खुल गया लेकिन पंख ही न खुले तो क्या होगा,इसी प्रकार दीपक तो जल गया परन्तु आंख ही नहीं खुलती है तो क्या होगा,इसी प्रकार धर्म-शास्त्र के उपदेश सुन लिए लेकिन भीतर की गांठें नहीं खुलती हैं तो क्या होगा,यही सोच के कारण जीवन व्यर्थ हो जाता हैं।
अतः जीवन में आचरण पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
One Response
आचरण प़त्येक मानव की सोच पर निर्भर करता हैं, यदि सोच अच्छी है तो आचरण पवित्र हो सकता हैं, यदि सोच गलत है तो जीवन निरर्थक होता हैं। अतः जो बताया गया है कि पिंजरा तो खुल गया लेकिन पंख ही न खुले तो क्या होगा,इसी प्रकार दीपक तो जल गया परन्तु आंख ही नहीं खुलती है तो क्या होगा,इसी प्रकार धर्म-शास्त्र के उपदेश सुन लिए लेकिन भीतर की गांठें नहीं खुलती हैं तो क्या होगा,यही सोच के कारण जीवन व्यर्थ हो जाता हैं।
अतः जीवन में आचरण पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।