आत्मा / कर्म
पानी में काई होती है, तब पानी काई के रंग का दिखने लगता है। पर पानी काई नहीं हो जाता है।
आत्मा में कर्म हैं। तब आत्मा उन कर्मों के अनुरूप व्यवहार करने लगता है। फिर भी आत्मा कर्म रूप नहीं हो जाती है।
आर्यिका पूर्णमति माताजी
पानी में काई होती है, तब पानी काई के रंग का दिखने लगता है। पर पानी काई नहीं हो जाता है।
आत्मा में कर्म हैं। तब आत्मा उन कर्मों के अनुरूप व्यवहार करने लगता है। फिर भी आत्मा कर्म रूप नहीं हो जाती है।
आर्यिका पूर्णमति माताजी
2 Responses
आर्यिका पूर्णमति माता जी ने आत्मा एवं कर्म को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में आत्मा कर्मों के रुप से कार्य करती रहती है लेकिन आत्मा कर्म नहीं हो जाती है।
[4/6/2023, 1:38 pm] Dr R K Jain: ठीठ अश्व हो जाता,
जब देते हैं मार।
टिक टिक से तांगा चले,
करते रहें दुलार।।
[7/6/2023, 6:48 pm] Dr R K Jain: अब करना है अभी करो,
वरना करोगे कब।
तब तक, कब तक, के चक्कर में,
मिट जायेगा सब।।
[8/6/2023, 6:16 am] Dr R K Jain: ताम झाम जीवन के
घिरा हुआ है नर,
उसे न मालूम इक दिन
छूटेगा यह घर।।
[9/6/2023, 4:03 pm] Dr R K Jain: स्व तो अपना धर्म है
स्व जीव का फर्ज।
पर के चक्कर में,पर
चढ़ जाता है कर्ज।।
[9/6/2023, 4:08 pm] Dr R K Jain: जैन धर्म यह मानता,
करें कर्म का नाश ।
सब कर्मो के नाश से
मिले मुक्त आकाश।।
[10/6/2023, 8:21 pm] Dr R K Jain: समय कभी न बोलता,
देता है परिणाम।
परणामों की भाषा को,
समझे पूर्ण जहान।।
[12/6/2023, 9:22 pm] Dr R K Jain: प्लस माइनस जीवन में
सब कर्मो का खेल।
भाव न अच्छे अंत में,
तो सब कुछ है फेल।।
[15/6/2023, 11:26 am] Dr R K Jain: आंखों से जो देखते,
वो है माया जाल।
अंतर दृष्टि जब जगे,
सब माया जंजाल।।
[18/6/2023, 7:38 am] Dr R K Jain: निज गृह की चिंता करो,
इसमें करो सुधार।
ग्रह न कुछ भी करते,
मिलता कर्मनुसार।।
[19/6/2023, 7:48 pm] Dr R K Jain: मोह होय संसार से,
बढ़ जाता परिवार।
और इसी परिवार से
बढ़े कर्तव्य भार।।
[20/6/2023, 7:16 am] Dr R K Jain: मोह होय संसार से,
बढ़ जाता परिवार।
और इसी परिवार से
बढ़े कर्तव्य का भार।।
[20/6/2023, 7:20 am] Dr R K Jain: मंदिर जीर्णोधार तो,
है सांसारिक तत्व ।
आतम के कल्याण से,
मिलता है मोक्षत्व।।
[20/6/2023, 7:29 am] Dr R K Jain: भेद ज्ञान को जानना,
होता है आसान।
प्राप्त करें हम कैसे,
चाहिए क्रिया ज्ञान।।
[20/6/2023, 7:34 am] Dr R K Jain: अहंकार को मानिए,
पड़ा गले में पत्थर ।
उन्नति में बाधक है,
करता है गति मंथर।।
[20/6/2023, 8:14 pm] Dr R K Jain: वीतरागता स्वर्ण है,
चमक न होती खत्म।
कषाय ऐसी आग है,
सब कुछ होता भस्म।।
[21/6/2023, 10:46 am] Dr R K Jain: अभ्यास अगर जाता है,
कहीं किसी से छूट।
पुनः प्रयास करने से
कोपल लगतीं फूट।।
[22/6/2023, 11:17 am] Dr R K Jain: संयम धारण दक्षता,
है पास इंसान।
पास नहीं देवों के,
ऐसा अद्भुत ज्ञान।।
[22/6/2023, 7:46 pm] Dr R K Jain: अल्प हो या अति हो,
दोनों का स्वभाव।
दोनों ही दुख देते,
अल्प,अति विश्वास।।
[25/6/2023, 7:53 pm] Dr R K Jain: सुविधा में दुविधा छिपी,
जाने सब संसार।
पर, सुविधा को छोड़ना,
माने सब बेकार।।
[25/6/2023, 7:56 pm] Dr R K Jain: ज्ञान चरित्र की प्राप्ति को,
न चाहिए अक्षर ज्ञान।
निर्मल चाहिए आत्मा,
चाहिए बस श्रद्धान ।।
[25/6/2023, 7:59 pm] Dr R K Jain: आगे जो जन चल रहे,
पंथ कर रहे साफ।
जिन पर चल कर मंजिल,
पा सकते निर्बाध।।
[27/6/2023, 7:17 am] Dr R K Jain: अनकूल रहो प्रतिकूल में,
यही है समता भाव।
रखते क्षमता सब मुनि,
तप का यही प्रभाव।।
[27/6/2023, 7:20 am] Dr R K Jain: जितना जो भी पास है,
रहें सदा संतुष्ट।
पैदा कर लो सोच को,
कम आयेंगे कष्ट।।
[27/6/2023, 7:25 am] Dr R K Jain: निज हित, पर हित सोच से,
सुखी रहे सब जीव।
कैसे पाएं यह विधि,
खोजें यह तरकीब।।
[28/6/2023, 11:22 am] Dr R K Jain: जिसने जितना गह लिया,
उतना ही उद्धार।
ईश गुरु वाणी करे
बराबर का उपकार।।
[30/6/2023, 10:39 am] Dr R K Jain: जिसने जितना गह लिया,
उतना ही उद्धार।
ईश गुरु वाणी करे
उतना ही उपकार।।
[2/7/2023, 9:48 am] Dr R K Jain: धारा के विपरीत हो चलना,
सृजित करें नव राह।
लकीर फकीर यदि रहे,
होंगे नित गुमराह।।
[7/7/2023, 8:16 pm] Dr R K Jain: उतना ही दंड दीजिए,
जितना करे सुधार।
समझाने से काम हो,
फिर मत दीजे मार।।
[7/7/2023, 8:19 pm] Dr R K Jain: जब हम करें प्रतीक्षा,
मन होता बेचैन।
जो आए सो बिठाईए,
खराब न होगी रैन।।
[7/7/2023, 8:23 pm] Dr R K Jain: निष्कंटक निज कीजिए,
यदि कष्ट की आन।
समता को धारण करें,
है मानव पहचान।।
[8/7/2023, 12:20 am] Dr R K Jain: रत्नों से धरती भरी,
अद्भुत रचना ईश।
ले जा न सका कोई संग में
इक छोटा सा पीस।।
[8/7/2023, 12:25 am] Dr R K Jain: सवाल यदि मन में उठे,
मांगे निज से उत्तर।
वरना उत्तर उलझेगा,
जबाब मिलेंगे सत्तर।।
[8/7/2023, 7:48 pm] Dr R K Jain: लालच ही संसार में,
है संकट का मूल।
लालच से बच कर रहें,
कभी करें न भूल।।
[8/7/2023, 7:51 pm] Dr R K Jain: अर्थ काम पुरषार्थ को
करें मोक्ष के हेतु।
इसको ही तुम मानिए,
मोक्ष प्राप्त का सेतु।।
[9/7/2023, 2:27 pm] Dr R K Jain: जिस पथ पर तुम चल रहे,
करें न उसका त्याग।
ठोकर खाते वो जन,
जाते बीच से भाग।।
[9/7/2023, 2:41 pm] Dr R K Jain: जीवन का तो अंत है
दौलत का नहीं अंत।
मन को निस्पृह कीजिए,
पैदा करिए संत।।