आत्मा

शराबी ने नशे में सारे साथियों को भोजन का निमंत्रण दे दिया। सब पीछे-पीछे घर आ गये।
पत्नी ने कह दिया –> वे घर में नहीं हैं।
साथी –> हमने खुद उसे घर में घुसते हुए देखा है !
शराबी –> जब पत्नि कह रही है कि घर में नहीं हूँ तो मानते क्यों नहीं ?

“मैं” आत्मा हूँ या नहीं हूँ। यह कौन कह रहा है ?
वही गृह (शरीर)-स्वामी है (पत्नी की तरह)।

ब्र. डॉ. नीलेश भैया

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