आदत

किसी मेंढ़क को थोड़े से भी गर्म पानी में ड़ाला जाये, तो वह कूद कर बाहर आ जाता है ।
पर मेंढ़क जिस पानी के बर्तन में हो, उसे यदि धीरे धीरे गर्म करके उबालने की स्थिति तक ले जाया जाये, तो भी वह बाहर नहीं कूदता और वहीं मर जाता है ।

यदि अचानक कोई बड़ा पाप हो जाये तो वह हमें झटका देता है, इससे बचने की हम कोशिश भी करते हैं ।
पर थोड़े थोड़े पाप कर्मों को करते करते हम अभ्यस्त होकर खत्म हो जाते हैं पर उनसे छुटकारा पाने का प्रयत्न नहीं करते ।

(श्री गौरव)

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