आदमी और जानवर
जानवर दूसरों के बच्चों का निवाला छीनकर अपने बच्चों को नहीं खिलाते। हिंसक जानवर भी एक जानवर को मार कर कई दिनों तक शिकार नहीं करते।
सिर्फ़ आदमी ज़िंदगी भर सुबह से शाम दूसरों का निवाला छीन-छीन कर अपना तथा अपने बच्चों का भरण-पोषण करता है।
चिंतन
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आदमी में बुद्धी तो अधिक होती है, पर उपयोग जीवन में सही नहीं कर पाता है, अतः सिर्फ आदमी ज़िन्दगी भर सुबह से शाम तक दूसरों का निवाला छीन छीन कर अपना तथा बच्चों का भरण पोषण करता रहता है।
उक्त कथन सत्य है कि जानवर किसी का निवाला छीनता नहीं है। गाय अपना ही दूध पहिले अपने बच्चों को पिलाती है, उसके बाद ही सभी को उपयोग के लिए देती है।
अतः जीवन में मनुष्य में दया भाव होना चाहिए ताकि अपने धर्म का पालन करने में समर्थ रहता है।