आनंद
जिसे दुबारा करने/पाने/देखने/सुनने का मन करे, वह आनंद की क्रिया है।
सन् 1983 में आचार्य श्री विद्यासागर जी संघ सहित लम्बा विहार करके शाम को शिखर जी पहुंचे, सुबह 5:45 पर पहाड़ की वंदना (27 K.M. की) पर चल दिये। जितने दिन रुके रोज़ वंदना की। एक दिन तो ऊपर की मिट्टी उठाकर केशलोंच करके फिर दूसरी वंदना कर शाम तक वापस, क्योंकि आनंद आ रहा था।
मुनि श्री सुधासागर जी
3 Responses
To kya, ek din(keshlonch ke din) me acharya shri ne do vandana kari thi ?
सुधासागर जी ने की थीं।
Okay.Jai ho gurudev ki !!