आलस्य
आलस्य (प्रमाद) भीति तथा प्रीति से ही कम होता है।
भीति – आलसी को बोल दो साँप आ गया, तब आलस्य रहेगा !
प्रीति – बच्चों की देखभाल में !!
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
आलस्य (प्रमाद) भीति तथा प्रीति से ही कम होता है।
भीति – आलसी को बोल दो साँप आ गया, तब आलस्य रहेगा !
प्रीति – बच्चों की देखभाल में !!
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने आलस्य की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पलमार्थिक कार्यों में आलस्य यानी प़मादद नहीं करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।