आहार बुद्धिपूर्वक छोड़ा जाता है,
कषाय शुद्धिपूर्वक ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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कषाय—आत्मा में होने वाले क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य हैं कि आहार बुद्विपूर्वक छोड़ा जाता है लेकिन कषाय को शुद्विपूर्वक छोड़ना पड़ता है।
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कषाय—आत्मा में होने वाले क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य हैं कि आहार बुद्विपूर्वक छोड़ा जाता है लेकिन कषाय को शुद्विपूर्वक छोड़ना पड़ता है।