आहारक ऋद्धि में आहारक कर्म का बंध/ उदय होता है। अन्य ऋद्धियों में तप से विशेष शक्तियाँ आतीं हैं।
48/64 ऋद्धियों में आहारक ऋद्धि नहीं आती।
जैसे ज्ञानावरण के क्षयोपशम से ज्ञान सम्बन्धित ऋद्धियाँ प्राप्त होतीं हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड – गाथा 235)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने आहारक रिद्वि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः मुनि महाराज जी को रिद्वियो की अपेक्षा तप में विशेष शक्तियां मिलती है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने आहारक रिद्वि का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः मुनि महाराज जी को रिद्वियो की अपेक्षा तप में विशेष शक्तियां मिलती है।