आ. नेमीचंद्र को चक्रवर्ती इसीलिये कहा क्योंकि उन्होंने षटखंड़ागम के छहों खंड़ों पर विजय प्राप्त की थी ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आर्यखण्ड आदि छह खण्डौ के अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं के स्वामी को चक़वर्ती कहते हैं, ये नौ निधियो और चोदह रत्नो के स्वामी भी होते हैं।अतः आ. नेमीचंद़ को च़कवत्ती इसलिये कहा गया है कि उन्होने षटखंड़ागम के छहो खण्डो पर विजय प़ाप्त की थी।
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आर्यखण्ड आदि छह खण्डौ के अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं के स्वामी को चक़वर्ती कहते हैं, ये नौ निधियो और चोदह रत्नो के स्वामी भी होते हैं।अतः आ. नेमीचंद़ को च़कवत्ती इसलिये कहा गया है कि उन्होने षटखंड़ागम के छहो खण्डो पर विजय प़ाप्त की थी।