आर्जव धर्म

मायाचारी का अभाव ।

2) ईमानदारी, उन्मुत्त हृदय, स्पष्टवादिता, सादगी, भोलापन, सरलता ही आर्जव धर्म है ।

ईमानदारी की नाव पर तो हम सब सवारी कर रहे हैं पर उसमें बेईमानी के अनेकों छेद हैं,
जिन्हें सफेद/स्वच्छ कपड़े से ढके रहते हैं ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

3) जोकर तो एक मुखौटा पहनता है,
जो सबको दिखता है,
पर हम तो अनेकों मुखौटे पहनते हैं और किसी को दिखने भी नहीं देते ।

4) दोहरा जीवन जीने वाले, दोहरे stress में रहते हैं ।

Share this on...

4 Responses

  1. Suresh ghandra jain

    Upar diye gaye chaaron bindu sahi hain, uttam aarjav mein sabko bataaya hai ki mayachaari ka eraada na karein, yah dikhava hai.
    safal jeevan ka maarg hai…. emaandaari, saraldil, saadgi, bholepan se rehna he aarjav dharma ka saar hai.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

September 8, 2016

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930