उत्तम क्षमा
जो जितना सामर्थ्यवान होगा वह उतना क्षमावान भी होगा।
जो जितना क्रोध करेगा वह उतना ही कमजोर होगा।
कागज़ की किश्ती
कुछ देर
लहरों से खेली
फिर डूब गई
इसे शिकायत है कि
किनारों ने इसे धोखा दिया।
मुनि श्री क्षमासागर जी
क्षमा करने से निर्भार हो जाते हैं,
क्षमा मांगने से निर्भय।
मुनि श्री अविचल सागर जी
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उत्तम क्षमा जैन धर्म में दशलक्ष्ण पर्व में बताया गया है।क्षमा से ही बैर की गठान समाप्त हो सकती है।
अतः मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि जो जितना सामर्थ्य वान होगा वह उतना ही क्षमावान भी होगा, एवं जो जितना क़ोध करेगा वह उतना ही कमजोर होगा। अतः जीवन में शंका हमेशा क्षमावान होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।