उत्तम तप-धर्म

अग्नि(तप) समाप्त तो पंचम काल समाप्त।
जब तक गर्माहट, तब तक जीवन।
गर्म पानी की भाप उर्धगमन, ठंडा बर्फ हथियार बन सकता है।
पानी(स.दर्शन) तपे घड़े में ही रह सकता है।
———————————————–
कर्म बिना फल की इच्छा के >>> निर्जरा >>> नारायण,
इच्छा सहित >>> निदान >>> नरक।
श्रावकों को उपवास(आत्मा के पास) करने को कहा,
श्रमणों को अनशन(अनआशन = अन्य आसन/ आहार के समय ही, वहाँ भी कम से कम रहना, ऊनोदर, रस परित्याग करने से कम जुड़ेंगे)

मुनि श्री मंगल सागर जी
ब्र.डॉ नीलेश भैया

Share this on...

6 Responses

  1. उत्तम तप बारह होते हैं। इसमें शारीरिक तप, मानसिक, वाचित तप परम आवश्यक है। अतः पहिले अहिंसा, सत्य के बाद संयम के बाद तप करना परम आवश्यक है। इसी प्रकार सोने को शुद्ध करने पर तपाया जाता है, अतः जीवन में अनावश्यक आवरणों को तप करके ही आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है।

  2. ‘ठंडा बर्फ हथियार बन सकता है’ ka meaning clarify karenge, please ?

    1. भाप की तरह ऊपर उठने की जगह भारी हो कर नीचे बैठना तथा किसी के सिर पर मार दिया तो हथियार का काम।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 25, 2023

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031