उत्तम शौच धर्म
- उत्तम शौच यानि लोभ समाप्त होने पर जो पवित्रता प्राप्त होती है ।
- उत्तम सोच वाले को ही उत्तम शौच प्राप्त होती है ।
- लाभ पर तो दृष्टि चलेगी पर यह दृष्टि लोभ में ना परिवर्तित हो जाये ।
- लोभी ही भोगी बन जाता है ।
- खुली आँख में छोड़ोगे (वैभव) तो योगी, बंद आँख में छूटेगा तो भोगी/रागी ।
बांध बांध कर क्यों छोड़ रहे हो जब सबको बंध बंध कर ही जाना है ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
2 Responses
Sachcha dhan santosh hee hai. Vilasita to daridrata hai jo krutrimta K aavaran me chhipi rahti hai.
KRODH ne hamaree aankhen chheenlee, MAAN ne kaan, MAYA ne hamaree jivha K arth badal diye aur LOBH ne hamaree naak katva dee.
Muni Shree PramaansagarG.
Excellent comment on uttam shauch…
Jai jinendra.