शौच = पवित्रता/ लोभ न करना
लोभ दो प्रकार का…
1) नैतिक – कुल/ समाज/ राष्ट्र/ धर्म के नियमानुसार;
गृहस्थों के लिए निषेध नहीं ।
2) अनैतिक – नियम विरुद्ध; गृहस्थों के लिए निषेध ।
साधु के दोनों का निषेध ।
मुनि श्री अविचल सागर जी
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One Response
यह कथन सत्य है कि उत्तम शौच का मतलब पवित्रता लेकिन लोभ न करना।लोभ दो प्रकार के होते हैं 1 नैतिक और 2 अनैतिक।
नैतिक—कुल,समाज, राष्ट्र और धर्म के नियमानुसार जबकि गृहस्थों के लिए निषेध नहीं।
अनैतिक—नियम विरुद्ध, गृहस्थों के लिए निषेध। साधु के दोनों का निषेध।
अतः जीवन में लोभ लालच नहीं करना चाहिए बल्कि पवित्रता के भाव होना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता हैं।
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यह कथन सत्य है कि उत्तम शौच का मतलब पवित्रता लेकिन लोभ न करना।लोभ दो प्रकार के होते हैं 1 नैतिक और 2 अनैतिक।
नैतिक—कुल,समाज, राष्ट्र और धर्म के नियमानुसार जबकि गृहस्थों के लिए निषेध नहीं।
अनैतिक—नियम विरुद्ध, गृहस्थों के लिए निषेध। साधु के दोनों का निषेध।
अतः जीवन में लोभ लालच नहीं करना चाहिए बल्कि पवित्रता के भाव होना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता हैं।