उत्तम शौच धर्म

शौच धर्म = अलोभ।
इच्छायें जमीनी धरातल से मेल नहीं खाती, उस Gap को कम करते जाना शौच-धर्म है।
लोभ = जो मेरा नहीं, वह मेरा हो जाए। पूरा न होने पर क्रोध/ बैर। पूरा होने पर मान। खुद की कमजोरी से पूरा न होने पर मायाचारी/ चोरी तक का सहारा लेते हैं।
जो है वह दिखता नहीं, आज दिख जाए तो कल दिखना बंद हो जाता है। आज दस में अभाव लगता है तो कल दस लाख में भी अभाव लगेगा।

ब्र.डॉ नीलेश भैया

Share this on...

4 Responses

  1. ब़ह्मचारी भैया श्री नीलेश द्वारा उत्तम शौच थर्म का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। उत्तम शौच का तात्पर्य जीवन में पवित्रता, आचरण में नम़ता, विचारों में निर्मलता होनी चाहिए। लोभ पाप का बाप है, अतः जीवन के कल्याण के लिए लोभ, लालच का त्याग करना परम आवश्यक है।

  2. ‘जो है वह दिखता नहीं, आज दिख जाए तो कल दिखना बंद हो जाता है। ‘ Is sentence ka kya meaning hai, please ?

    1. जो अपने पास है वह दिखता नहीं/ महत्वपूर्ण नहीं।
      शुरु में दिख भी जाए, पुराना होने पर नज़रअंदाज़ करने लगते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 22, 2023

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031