उत्तम संयम धर्म
- पुराने समय में पहले दीक्षा काल होता था तब शिक्षा काल,
इसी प्रकार भगवान के कल्याणकों में पहले दीक्षा कल्याणक फिर ज्ञानकल्याणक होता है ।
पर हमने उल्टा कर दिया – शिक्षा पहले देते हैं दीक्षा की बात बाद में आती है, इसीलिये हमारे बच्चे संस्कारित नहीं हो रहे हैं । - चुम्बक के साथ रह रह कर लोहे में भी चुम्बकीय गुण आ जाते हैं, संयम चाहते हो तो संयमी का सानिध्य करो ।
- चोर और भोगी की दृष्टि स्थिर नहीं रहती, इधर उधर ताकती रहती है ।
इसका इलाज़ क्या है ?
जैसे घोड़े की आँखों पर पट्टा जरूरी है ताकि उसकी दृष्टि इधर उधर भटके ना और वो अपने गंतव्य तक पहुंच जाये ।
ऐसे ही हमें अपने ऊपर संयम के कुछ प्रतिबंध लगाने होंगे । - हमारे जीवन में संयम क्यों नहीं आ रहा है ?
क्योंकि तुम 350 दिन कपड़े वालों के साथ रहते हो और 15 दिन दिगम्बर मुनियों के साथ रहते हो,
तो तुम असंयम की तरफ 350 यूनिट बढ़ोगे और संयम की तरफ 15 यूनिट ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
पं. रतनलाल जी – इन्दौर