उत्तम सत्य धर्म
सत्य तो आत्मा का स्वभाव है।
तभी बोला जा सकता है जब रागद्वेष ना हो।
———————————————–
झूठ वह जिसे बोलने से पहले सोचना पड़े।
सत्य के दो पहलू ….
1) भावात्मक …अनुभव आधारित। मैं सत्य, अन्य संदिग्ध भी हो सकते हैं जैसे जादूगर के कृत।
2) व्यवहारिक …प्रबंधक सहित/ सजा हुआ झूठ।
मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
ब्र. डॉ नीलेश भैया
One Response
मुनि श्री मंगलानंद जी ने उत्तम सत्य धर्म का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः सत्य बोलने का प़यास करना चाहिए। कभी असत्य नहीं बोलना चाहिए। असत्य बोल कर ठगी करते हैं वह पाप की श्रेणी में आता है।