उदीरणा

साधारणजन पुण्यों की उदीरणा करने में लगे रहते हैं, साधु पापों की ।

चिंतन

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  1. उदीरणा–अपक्व अर्थात नहीं पके हुए कर्मा का पकाना होता है।दीर्घकाल बाद उदय में आने योग्य कर्म को अपकर्षण करके उदय में लाकर उसका अनुभव कर लेना यह उदीरणा है। साधारणजन पुण्यों की उदीरणा करने में लगे रहते हैं, जबकि साधु पापों की उदीरणा करने में रहते हैं।

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