उपसर्ग-केवली
उपसर्ग-केवली के अंगभंग होने के बाद अंग बनना तर्कसंगत नहीं है। ये वज्रवृषभ नाराच संहनन वाले ही होते हैं, उनके अंगभंग होते भी नहीं।
मुनि गजकुमार के बारे में दूसरा मत है कि वे स्वर्ग ही गये थे।
पांडवों का शरीर जलने पर आयु भी पूर्ण हो गयी थी सो शरीर बचा ही नहीं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जिज्ञासा समाधान)
4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने उपसर्ग केवली का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
मुनि गजकुमार के बारे में pehla mat kya hai ?
मोक्ष गये हैं ।
Okay.