उपादेय
संसार में रहो पर एक उपादेय बना लो ।
उपादेय = उप (करीब से) + आदेय (प्राप्त/ग्रहण करने योग्य) ।
शुद्ध आत्मा को उपादेय बनाओ ।
इसको सम्यग्दर्शन कहते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
संसार में रहो पर एक उपादेय बना लो ।
उपादेय = उप (करीब से) + आदेय (प्राप्त/ग्रहण करने योग्य) ।
शुद्ध आत्मा को उपादेय बनाओ ।
इसको सम्यग्दर्शन कहते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
मुनि महाराज जी ने सही कहा है कि संसार में रहो पर एक उपादेय बनाना आवश्यक है, अतः उपादेय यानी उप करीब एवं आदेय जो ग़हण करने योग्य हो। अतः अपनी शुद्ध आत्मा को उपादेय बनाओ,इसी को सम्यग्दर्शन कहते हैं।