कंद जैसे आलु आदि।
मूल जो मूल शरीर से पैदा हो जैसे हल्दी आदि।
कंद में मूल कम मात्रा में डाले जाते हैं, औषधि रूप।
कंद सूखने पर सड़ता है, मूल काष्ठ बन जाता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी ने कंद मूल की परिभाषा दी गई है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में कंद खाने से बचना चाहिए ताकि छोटे छोटे जीवों की हिंसा नहीं हो!
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मुनि महाराज जी ने कंद मूल की परिभाषा दी गई है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में कंद खाने से बचना चाहिए ताकि छोटे छोटे जीवों की हिंसा नहीं हो!