कर्म तो निर्जीव होते हैं, उन्हें ठीक करने के लिये क्या करें ?
“करनी” ठीक करें, कर्म अपने आप ठीक हो जायेंगे ।
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जीव,मन वचन,काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,वह सब उसकी क़िया या कर्म है।कर्म के द्वारा ही जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। अतः यह कथन सत्य है कि कर्म तो निर्जीव होते हैं अतः उनको ठीक करने के लिए करनी ठीक करना चाहिए ताकि कर्म अपने आप ठीक हो सकते हैं। जीवन में कर्म ठीक-ठाक करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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जीव,मन वचन,काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,वह सब उसकी क़िया या कर्म है।कर्म के द्वारा ही जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। अतः यह कथन सत्य है कि कर्म तो निर्जीव होते हैं अतः उनको ठीक करने के लिए करनी ठीक करना चाहिए ताकि कर्म अपने आप ठीक हो सकते हैं। जीवन में कर्म ठीक-ठाक करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।