कषाय कारण हैं, पाप कार्य।
पाप को कम/ समाप्त करने के लिये व्रत।
व्रतों (देशव्रत) को द्रढ़ करने के लिये गुणव्रत, प्रगति के लिये शिक्षाव्रत।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि कषाय कारण है पाप करने में जबकि पाप को कम करने के लिए/ वृतों को दृढ करने के लिए गुणव़त एवं प़गति के लिए शिक्षाव़त आवश्यक है!
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मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि कषाय कारण है पाप करने में जबकि पाप को कम करने के लिए/ वृतों को दृढ करने के लिए गुणव़त एवं प़गति के लिए शिक्षाव़त आवश्यक है!