“काम” का ध्यान करने से “काम” बढ़ता है।
“वेद” का ध्यान करने से धर्मध्यान बढ़ता है, “काम” शांत होता है, संस्कार भी कम होते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Share this on...
7 Responses
मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि काम का ध्यान करने से काम बढता है, जबकि वेद का ध्यान करने पर धर्म ध्यान बढता है, इससे काम शान्त होता है! अतः जीवन के कल्याण के लिए काम की जगह वेद का ध्यान करना परम आवश्यक है!
7 Responses
मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि काम का ध्यान करने से काम बढता है, जबकि वेद का ध्यान करने पर धर्म ध्यान बढता है, इससे काम शान्त होता है! अतः जीवन के कल्याण के लिए काम की जगह वेद का ध्यान करना परम आवश्यक है!
Can meaning of the 2nd sentence be clarified, please ?
जब वेद का चिंतन करोगे तब धर्म ध्यान शुरू हो गया, उससे काम पर से ध्यान हटेगा न !
Yahan par ‘काम’, ‘Sansaar’ ko aur ‘वेद’, ‘Dharm’ ko represent kar raha hai, na ?
1) Yahan par ‘काम’, ‘Sansaar’ ko aur ‘वेद’, ‘Dharm’ ko represent kar raha hai, na ?
2) Kis ke संस्कार कम होते हैं ?
1) संसार बढ़ाने वाले काम।
पुरुष आदि वेद का चिंतन करोगे तब संसार बढ़ाने वाले काम कम होंगे न !
2) वेदों के चिंतवन यानी जिन वचनों से।
Okay.