चौथे काल के भावलिंगी मुनियों की कर्म निर्जरा, पंचम काल के मुनियों से कम होती है क्योंकि उन्हें तो भगवान बनने की संभावना थी, वे आगे क्यों नहीं बढ़ पाये !
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का काल के प़भाव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में इतना ध्यान रखना चाहिए कि काल का प़भाव हर जगह पड़ता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का काल के प़भाव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में इतना ध्यान रखना चाहिए कि काल का प़भाव हर जगह पड़ता है।