कीर्ति
आचार्य श्री का इतना यश इसलिये है क्योंकि उन्होंने कभी किसी की निंदा नहीं की, प्रतिकार तक नहीं करते हैं ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
आचार्य श्री का इतना यश इसलिये है क्योंकि उन्होंने कभी किसी की निंदा नहीं की, प्रतिकार तक नहीं करते हैं ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
6 Responses
HariOm HariOm.
Suresh Chandra Jain
It is very true.
What is the difference between “Ninda” and “Pratikaar”?
अपनी निन्दा का जबाब देना ।
okay.I understood.
That is a lesson for everyone!