घोर गर्मी में बारिश से मौसम सुहाना हो गया।
मुँह से निकला…. प्रभु ! धन्यवाद।
प्रभु तो कर्ता नहीं है, फिर ?
कृतज्ञता।
फायदा ?
मान न हो जाए कि मैं कितना पुण्यवान हूँ !
चिंतन
Share this on...
One Response
कृतज्ञता एवं मान को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कृतज्ञता का भाव रहना परम आवश्यक है।
One Response
कृतज्ञता एवं मान को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कृतज्ञता का भाव रहना परम आवश्यक है।