गंधोदक उतना ही बनाना चाहिये, जितनी खपत हो ।
गंधोदक के विसर्जन का उल्लेख शास्त्रों में नहीं मिलता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि गंधोदक उतना ही बनाना चाहिए, जितनी खपत हो। गंधोदक अभिषेक और शान्तीधारा का मिश्रण है।इसको मस्तिष्क पर लगाना चाहिए ताकि मानसिक शांति मिलती है। इस मिश्रण द़व्य को बर्बाद करने से पाप का भागी होता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि गंधोदक उतना ही बनाना चाहिए, जितनी खपत हो। गंधोदक अभिषेक और शान्तीधारा का मिश्रण है।इसको मस्तिष्क पर लगाना चाहिए ताकि मानसिक शांति मिलती है। इस मिश्रण द़व्य को बर्बाद करने से पाप का भागी होता है।