उक्त कथन सत्य है कि जीवन में लिबास ही दिखता है, लेकिन जीवन में आत्मा का स्वरुप नहीं देख पाते हैं, जिसके कारण जीवन का कल्याण नहीं कर पाते हैं। कल रात में शंका समाधान में बताया गया था कि मुनि श्री क्षमासागर महाराज बहुत अधिक ज्ञान से भरे हूए थे और समता के भाव रखते थे। उनको एक बार कड़वी लौकी का रस दिया गया था,जिसके कारण दस्त लग गये थे, लेकिन अपनी समता के भाव से कोई कष्ट नहीं माना था बल्कि सहजता से स्वीकार किया गया था। उस समय श्रीमुनि, प़माण सागर जी के साथ थे। मुनि क्षमासागर महाराज को बार बार नमोस्तु करता हूं।
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उक्त कथन सत्य है कि जीवन में लिबास ही दिखता है, लेकिन जीवन में आत्मा का स्वरुप नहीं देख पाते हैं, जिसके कारण जीवन का कल्याण नहीं कर पाते हैं। कल रात में शंका समाधान में बताया गया था कि मुनि श्री क्षमासागर महाराज बहुत अधिक ज्ञान से भरे हूए थे और समता के भाव रखते थे। उनको एक बार कड़वी लौकी का रस दिया गया था,जिसके कारण दस्त लग गये थे, लेकिन अपनी समता के भाव से कोई कष्ट नहीं माना था बल्कि सहजता से स्वीकार किया गया था। उस समय श्रीमुनि, प़माण सागर जी के साथ थे। मुनि क्षमासागर महाराज को बार बार नमोस्तु करता हूं।