घाति कर्म लेनदेन नहीं करते, सिर्फ घात करते हैं ।
अघाति लेनदेन करते हैं, घात नहीं करते हैं ।
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4 Responses
जो जीव के अनुजीवी गुणों का घात नहीं करते हैं पर शरीरादि से संबंधित है वे अघातिया कर्म कहलाते हैं,आयु, नाम,गोत्र और वेदनीय ये चार अघातिया कर्म होते हैं।
घाति कर्म लेन देन नहीं करते, सिर्फ घात करते हैं। जबकि अघाति लेन देन करते हैं लेकिन घात नहीं करते हैं।
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जो जीव के अनुजीवी गुणों का घात नहीं करते हैं पर शरीरादि से संबंधित है वे अघातिया कर्म कहलाते हैं,आयु, नाम,गोत्र और वेदनीय ये चार अघातिया कर्म होते हैं।
घाति कर्म लेन देन नहीं करते, सिर्फ घात करते हैं। जबकि अघाति लेन देन करते हैं लेकिन घात नहीं करते हैं।
“लेनदेन” ka kya meaning hai, in the above context, please?
जैसे नामकर्म शुभ हो तो खुशी, अशुभ हो तो दुःख देता है, in return कर्म बंध होता है ।
ज्ञानावरण सिर्फ़ ज्ञान को ढक कर बैठा रहता है,लेता देता कुछ नहीं।
Okay.