चल/अचल प्रदेश

अयोग केवली तथा सिद्ध भगवान के “अचल प्रदेश” होते हैं, हमारे “चल”(इस कारण शायद हमको सब घूमता दिखता है)।
चल प्रदेशों में Activity होती है। गुस्से में शरीर हिलता है, न बोल पाते हैं न लिख पाते हैं, भय में भी यही स्थिति होती है।
बस 8 प्रदेश “अचल” रहते हैं, यानि आत्मा में घूमते नहीं है पर स्पंदन इनमें भी होता है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. प़देश का तात्पर्य एक परमाणु आकाश में जितनी जगह घेरता है, उसे आकाश प़देश कहते हैं,यह दो प़कार है,चल एवं अचल प़देश। उपरोक्त कथन सत्य है कि अचल प़देश केवली तथा सिद्ध भगवान् के होते हैं।चल प़देशो में एक्टिविटी रहती है। इसके अतिरिक्त आठ प़देश अचल रहते हैं, यानी आत्मा में घूमते नहीं है,पर स्पंदन इनमें भी होता है।

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