चीज़ों में ख़ुशियाँ ?

हथेली तब भी छोटी थी,
हथेली अब भी छोटी है,
पहले खुशियां बटोरने में, चीजें छूट जातीं थीं ,
अब चीजें बटोरने में खुशियां, छूट जातीं हैं !

(सुरेश)

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि लोग अपनी चीजों में ही खुशियों का अहसास करते हैं, लेकिन ऐसी खुशियों में ही जीवन को बर्बाद करते हैं और जीवन समाप्त हो जाता है, अतः चीजों की खुशियों में न रहकर,उस पर नियंत्रण करना आवश्यक है ताकि सच्ची खुशी आत्म हित का विचार करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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